DISTANCE FROM ONE BELT ONE FROM INDIA HINDI ESSAY

एशियाई परिदृश्य में तीन वर्षों से आर्थिक संयोजन की जो योजना वन बेल्ट वन रोड़ बनाई जा रही थी, वह 14 मई 2017 को साकार हो गई। इस सम्मेलन में लगभग 130 देशों ने भाग लिया, जिसमें से लगभग 68 देश, 900 अरब डॉलर के आर्थिक गलियारे का हिस्सा हैं। भारत ने इस आयोजन का बहिष्कार किया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में तीन कारण बताए हैं।
  • वन बेल्ट, वन रोड़ योजना, एक तरह से चीन-पाकिस्तान का आर्थिक गलियारा है। इस योजना में गिलगित-बलातिस्तान क्षेत्र को शामिल किये जाने से भारत की एकता और अखण्डता को क्षति पहुंचती है।
  • इस योजना में चीन के नवउपनिवेशवाद की बू आ रही है। यह योजना शामिल देशों पर अनावश्यक कर्जे का बोझ लाद सकती है। आगे चलकर इस योजना के सदस्य देशों में कर्ज के चलते आर्थिक विषमता आ सकती है।
  • चीन का एजेंडा स्पष्ट नहीं है। भारत को लगता है कि यह मात्र आर्थिक योजना नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से चीन, इस क्षेत्र पर अपना राजनैतिक प्रभुत्व बढ़ाना चाहता है।
भारत की ये तीनों आशंकाएं बेबुनियाद नहीं हैं। लेकिन पर्यवेक्षक की तरह इस सम्मेलन में भाग लेने से भारत के लिए आगे का रास्ता खुला रहता। माना कि भारतीय सुरक्षा नीति विशेषज्ञों की दृष्टि में चीन से सीधा-संपर्क शायद अमेरिकी नेतृत्व को भारत से दूर कर देगा। परंतु जापान और अमेरिका ने भी इस योजना से दूरी रखते हुए भी अपने दल वहाँ भेजे। भारत की दृष्टि से अगर विचार करें, तो इस योजना में शामिल होने के कुछ दूरगामी परिणाम हो सकते थे।
  • विकसित होते एशियाई बाज़ार में आपूर्ति, निर्माण एवं बाज़ार तंत्र के विस्तार का यह एक अच्छा अवसर था।
  • चीन द्वारा प्रारंभ किए गए इस विस्तृत गलियारे के माध्यम से भारत, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया आदि देशों से अपने आर्थिक संबंध और भी मजबूत कर सकता था।
  • दक्षिण एशियाई देशों के साथ मौसम की जानकारी, जलवायु शोध और आधार जैसे मुद्दों पर सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता था।
  • आर्थिक दृष्टि के अलावा अगर हम भौगोलिक-राजनीति की दृष्टि से इस योजना को देखें, तो भारत के इसमे शामिल हो जाने से पाकिस्तान की उलझनें निश्चित रूप से बढ़ जातीं। भारत को पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में प्रवेश करने का एक अच्छा अवसर मिल जाता। नियंत्रण रेखा पर होने वाली आए दिन की तनातनी में कुछ बदलाव आता।
चूंकि भारत एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेन्ट बैंक का सह-संस्थापक और शंघाई को ऑपरेशन बैंक का सदस्य है (जून 2017 से), इसलिए इससे वन बेल्ट वन रोड़ की कई योजनाओं को पूरा करने में सहयोग मांगा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा सचिव ने चीन की इस योजना को वैश्विक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना है। इसलिए इस योजना से भारत का बाहर रह पाना मुश्किल है। भारत को इस योजना से जुड़ी अपनी आशंकाओं पर चीन से वार्ता करनी चाहिए, अन्य देशों को अपनी आशंकाओं से यथासंभव अवगत कराना चाहिए और एशिया में बढ़ते अपने प्रभुत्व में वृद्धि करनी चाहिए।हालांकि योजना से अलग रहते हुए प्रधानमंत्री ने उपमहाद्वीप के अपने पड़ोसी देशों, दक्षिण पूर्वी एशिया और खाड़ी देशों के साथ अपने संबंधों में मजबूती लाने के लिए तेजी से प्रयास शुरू कर दिए हैं। इनके सकारात्मक परिणाम आने की संभावना है।
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